२. तारा महाविद्या
सर्वप्रथम महर्षि वशिष्ठ ने तारा की आराधना की थी। यह तांत्रिकों की प्रमुख देवी मानी जाती हैं।
देवी के इस रूप की उपासना से आर्थिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पश्चिम बंगाल के बीरभूम ज़िले में स्थित ‘तारापीठ’ इस देवी का प्रमुख मंदिर है।
यहीं पर महर्षि वशिष्ठ ने देवी तारा की घोर साधना करके अनेक सिद्धियाँ प्राप्त की थीं।
तारा देवी का एक और प्रसिद्ध मंदिर हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में स्थित है।
मुख्य बातें:
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चैत्र मास की नवमी तिथि और शुक्ल पक्ष के दिन तंत्र साधकों के लिए विशेष रूप से सिद्धिकारक मानी जाती है।
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तारा माँ को जाग्रत करने के लिए “ॐ ह्रीं स्त्रीं हुम फट्” मंत्र का जाप किया जाता है।
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संकटों को दूर करने वाली होने के कारण इन्हें “तारने वाली माता” तारा कहा जाता है।
मंत्र इस प्रकार है: