३. त्रिपुर सुंदरी महाविद्या
इन्हें ललिता, राजराजेश्वरी और त्रिपुर सुंदरी भी कहा जाता है।
त्रिपुरा में स्थित त्रिपुर सुंदरी शक्तिपीठ अत्यंत प्रसिद्ध है।
यहाँ माता की चार भुजाएँ और तीन नेत्र हैं, जो उनके दिव्य रूप और सौंदर्य के प्रतीक माने जाते हैं।
निरावृति (नवमी, पूर्णिमा आदि शुभ तिथियों) में रुद्राक्ष की माला से
‘ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुरसुंदर्यै नमः’ मंत्र का जाप करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
मुख्य बातें:
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माता के इस रूप में चार भुजाएँ और तीन नेत्र हैं।
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इन्हें सौंदर्य, प्रेम, आकर्षण और आनंद की देवी माना जाता है।
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त्रिपुर सुंदरी साधना जीवन में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती है।
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जाप हेतु मूल मंत्र: ‘ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुरसुंदर्यै नमः।’
गुप्त (क्लीष्ट) मंत्र इस प्रकार है:
‘ॐ ह्रीं क्लीं ऐं सौः
ॐ ह्रीं क्रीं कैलि ह्रीं सकल ह्रीं सौः
ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नमः।’
(यह मंत्र विशेष साधना के लिए प्रयोग होता है, अतः गुरु दीक्षा के साथ ही इसका प्रयोग उचित है।)