1. काली
सभी दस महाविद्याओं में काली को प्रथम रूप माना जाता है।
माता दुर्गा ने राक्षसों का विध्वंस करने के लिए यह रूप धारण किया था।
सिद्धि प्राप्त करने के लिए माता के इस रूप की पूजा की जाती है।
जिस प्रकार भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और शीघ्र रुष्ट भी हो जाते हैं, उसी प्रकार काली माता का स्वभाव भी तीव्र और प्रभावशाली है।
इसलिए जो भी भक्त इनकी साधना करना चाहता है, उसे एक एकाग्रचित्त और पवित्र मन का होना चाहिए।
देवताओं और दानवों के बीच हुए युद्ध में माँ काली ने ही देवताओं को विजय दिलाई थी।
कोलकाता, उज्जैन और गुजरात में माँ महाकाली के जाग्रत एवं चमत्कारी मंदिर स्थित हैं।
मुख्य बातें:
- दस महाविद्याओं में काली प्रथम रूप हैं।
- माता का स्वरूप: हाथों में त्रिशूल और तलवार।
- पूजा के लिए विशेष दिन: शुक्रवार और अमावस्या।
- ‘कालिका पुराण’ में इनका विस्तार से वर्णन किया गया है।
- काली को ‘ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरी कालिके स्वाहा’ मंत्र से प्रसन्न किया जा सकता है।
- कोलकाता, उज्जैन और गुजरात में माँ महाकाली के जाग्रत चमत्कारी मंदिर हैं।
मंत्र इस प्रकार है:
‘ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हं हं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हं हं स्वाहा।’