8. बगलामुखी महाविद्या
माँ बगलामुखी को वाणी, शत्रु वश करण, और विजय प्रदान करने वाली देवी माना जाता है।
इनकी साधना से साधक शत्रुओं के भय से मुक्त होता है और वाक् सिद्धि (शब्दों में प्रभाव) प्राप्त करता है।
महाभारत युद्ध के समय, भगवान कृष्ण और अर्जुन ने भी कौरवों पर विजय प्राप्त करने हेतु माँ बगलामुखी की पूजा की थी।
भारत में माँ बगलामुखी के तीन प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं —
जिनमें से एक दतिया (मध्य प्रदेश), दूसरा कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) और तीसरा नालागढ़ (हिमाचल प्रदेश) में स्थित है।
मुख्य बातें:
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माँ बगलामुखी शत्रुओं की वाणी, बुद्धि, क्रिया को स्थिर और नष्ट करने वाली हैं।
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इनकी साधना से वाक् सिद्धि, न्याय में विजय, शत्रुओं पर नियंत्रण तथा वाद-विवाद में सफलता मिलती है।
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विशेषत: संकट काल, मुकदमेबाजी, और प्रतियोगिता में सफलता के लिए पूजनीय हैं।
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पीले वस्त्र, पीला आसन और हल्दी की माला से साधना करना विशेष फलदायी माना गया है।
मंत्र इस प्रकार हैं:
📿 बीज मंत्र:
‘ॐ ह्रीं बगलामुखी देव्यै ह्रीं ॐ नमः।’
📿 मुख्य मंत्र:
‘ह्रीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा।’
(इस मंत्र का जप विशेषतः रात्रि में, गुप्त साधना में या पीले रंग की सामग्री के साथ करना श्रेष्ठ माना गया है।)