लाल किताब ज्योतिष की दुनिया में खाना नंबर 6 (छठा भाव) एक ऐसा घर है। यह संघर्ष, सेवा और शत्रु-विजय का प्रतिनिधित्व करता है। यह भाव जीवन के उन पहलुओं को नियंत्रित करता है, जिनसे मनुष्य अपने कर्म और धैर्य के बल पर उभरता है। चाहे वह बीमारी से लड़ाई हो, ऋण से मुक्ति हो, या फिर विरोधियों पर विजय हो।
लाल किताब इसे “दुःस्थान” कहती है। लेकिन यही छठे भाव की खासियत है कि यह व्यक्ति को कर्मठ, संयमी और अनुभवी बनाता है।

खाना नंबर 6 का मूल स्वरूप
लाल किताब के अनुसार, कुंडली में छठा घर निम्नलिखित विषयों का प्रतीक है –
- शत्रु और मुक़दमे: यह आपके ज़ाहिरी शत्रुओं, प्रतिस्पर्धियों और न्यायिक मामलों का भाव है। आपके शत्रु किस प्रकार के होंगे और शत्रुता कितनी लंबी चलेगी। आपके जीवन में मुकदमे कितने लंबे चलेंगे।
- रोग और ऋण: शरीर में बीमारियाँ, मानसिक तनाव और कर्ज़ का संबंध इसी घर से है। शरीर में किस प्रकार की बीमारियां होंगी और किस बात से मानसिक तनाव हो सकता है यह इसमें स्थित ग्रह से प्रभावित होगा।
- सेवा और नौकरी: यह घर नौकरी, अधीनस्थों, मज़दूरों और सेवा भावना को दर्शाता है। आपके जीवन में आपको नौकरों से कितना सुख है और आपके अपने से छोटे वर्ग के प्रति रवैया कैसा है यह सब इसमें देखा जा सकता है।
- ननिहाल पक्ष: मामा, मौसी, और मातृ पक्ष के रिश्ते इसी घर से देखे जाते हैं। एक व्यक्ति के जीवन में ननिहाल पक्ष का क्या महत्व रहेगा इसे देखा जा सकता है।
- विश्लेषण शक्ति: यह व्यक्ति की निर्णय क्षमता और दूरदर्शिता को मज़बूत बनाता है। एक व्यक्ति के दिन प्रतिदिन के जीवन में उसकी त्वरित निर्णय लेने की क्षमता और उसके अंदर की सहनशक्ति काफी हद तक इसी भाव में स्थित ग्रह से प्रभावित होती है।
- वैवाहिक मतभेद: दांपत्य जीवन की अनबन या तलाक जैसी स्थितियों का भी संकेतक यही घर है। छठे घर में स्थित ग्रह एक व्यक्ति के वैवाहिक जीवन को भी बहुत हद तक प्रभावित कर सकता है।
लाल किताब में खाना नंबर 6 का स्वामी बुध (Mercury) और सहायक ग्रह केतु माना गया है। यहाँ बुध उच्च (Exalted) होता है जबकि शुक्र नीच (Debilitated) का।
शनि खाना नंबर 6 में — “उड़ने वाला साँप” या “अंधा साँप”
जब शनि (Saturn) छठे घर में विराजमान होता है, तो यह स्थिति लाल किताब में बेहद रहस्यमय और शक्तिशाली मानी जाती है।
लाल किताब इसे दो नामों से संबोधित करती है:
“उड़ने वाला साँप” — जब शनि शुभ फल देता है, तो व्यक्ति को ऊँचाइयों तक पहुँचा देता है।
“अंधा साँप” — रात के समय शनि अपनी नकारात्मक दृष्टि खो देता है, यानी रात में किए गए कार्य शुभ सिद्ध होते हैं।
छठे घर का शनि “मुसीबतों का मालिक” कहलाता है। वह व्यक्ति को इतना मजबूत बना देता है कि कठिन से कठिन समय में भी वह गिरता नहीं। बल्कि और ऊँचा उठता है।
शनि 6 के शुभ प्रभाव (Positive Results)
यदि व्यक्ति ईमानदार, संयमी और मेहनती है, तो शनि 6 उसे अप्रत्याशित ऊँचाई देता है।
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सच्चाई और अमानतदारी:
लाल किताब का स्पष्ट संदेश है — यदि व्यक्ति ईमानदारी से जीवन जीता है, तो शनि उसे हर विपत्ति से बचाता है। बेईमानी करने पर शनि और गुरु दोनों बिगड़ जाते हैं।
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पुराने सामान से लाभ:
शनि 6 वाले जातक को पुराने, सेकंड-हैंड वस्तुओं या लोहे, मशीनरी, कबाड़, तेल, और कोयले से संबंधित व्यापार से बहुत फायदा होता है।
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रात में आरंभ किए गए कार्य:
रात का समय इनके लिए शुभ होता है। “अंधा साँप” रात में हानि नहीं करता। इसलिए व्यवसायिक योजना या नया कार्य रात्रि में शुरू करना लाभकारी है।
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मज़दूरों और गरीबों की सेवा:
मज़दूरों की सहायता, उन्हें जूते, बीड़ी, या खाना दान करना शनि को प्रसन्न करता है।
लाल किताब कहती है — “खोटा सिक्का भी काम आता है।” मतलब संतान चाहे कैसी भी हो, वह अंततः लाभदायक सिद्ध होती है।
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उच्च राशि का प्रभाव:
जब शनि तुला राशि (उच्च) में हो, तब जातक हर शत्रु पर विजय प्राप्त करता है। किसी भी मुकदमे, प्रतियोगिता या विरोध में वह विजेता बनकर निकलता है।
शनि 6 के अशुभ परिणाम (Negative Effects)
अगर शनि 6 कमजोर या मंदा हो जाए, या जातक लाल किताब के नियमों का उल्लंघन करे। तो यह बेहद गंभीर परिणाम देता है।
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गुरु का बिगड़ना:
- शनि 6 की दसवीं दृष्टि खाना नंबर 2 (गुरु का स्थान) पर पड़ती है। इससे बृहस्पति का नाश होता है। परिणामस्वरूप धन, संतान और सामाजिक मान-सम्मान में गिरावट आती है।
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विवाह संबंधी बाधाएँ:
- 28 वर्ष की उम्र से पहले विवाह करने से माँ (चंद्रमा), पत्नी (शुक्र) और संतान (गुरु) पर बुरा असर पड़ता है।
- 36–42 वर्ष के बीच संतान प्राप्ति में अड़चन या स्वास्थ्य समस्या हो सकती है।
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ख़रीददारी में सावधानी:
- नई मशीनें या फ़ैक्टरी उपकरण ख़रीदना नुकसानदायक है।
- नए चमड़े के जूते या बेल्ट न पहनें।
- शराब और मांस घर में लाना शनि के प्रकोप को बढ़ाता है।
- नई हार्डवेयर या लोहे की वस्तुएँ ख़रीदने से बचें।
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स्वास्थ्य समस्याएँ:
कमजोर पाचन, नसों में दर्द, और पाँव से जुड़ी तकलीफ़ आम होती है। जूते अक्सर चोरी या गुम हो जाना भी शनि 6 की निशानी मानी गई है।
शनि खाना नंबर 6 के लिए आप क्या उपाय कर सकते हैं?
लाल किताब में हमेशा “निवारण” (Remedy) को प्रमुख माना जाता है। शनि 6 को संतुलित रखने के लिए तीन मुख्य स्तर के उपाय बताए गए हैं। इसमें गुरु की रक्षा, शनि की शांति और बुध की मदद शामिल हैं।
गुरु को मज़बूत करना-
क्योंकि शनि खाना नंबर 6 सबसे ज़्यादा बृहस्पति को प्रभावित करता है, इसलिए गुरु के उपाय अत्यंत ज़रूरी हैं-
- सोना धारण करें: गले में सोने की चेन या टुकड़ा पहनें।
- केसर तिलक: रोज़ माथे, नाभि और ज़ुबान पर केसर का तिलक लगाएँ।
- नारियल/बादाम प्रवाह: 6 दिन तक बादाम या नारियल बहते पानी में प्रवाहित करें।
- गुरुओं और बुजुर्गों की सेवा करें।
शनि की शांति-
शनि की शांति करना खाना नंबर 6 के लिए आवश्यक है-
- सरसों तेल का घड़ा: मिट्टी के छोटे पात्र में सरसों तेल भरकर ढक्कन बंद करें और उसे किसी रुके हुए पानी में पत्थर बाँधकर दबा दें।
- जूते दान करें: नई चमड़े की वस्तु स्वयं न पहनें, बल्कि मज़दूर को दान करें।
- पुरानी वस्तुएँ प्रयोग करें: सेकंड-हैंड मशीन या वाहन लेना शुभ है।
बुध को संतुलित रखें-
बुध छठे घर का स्वामी है, इसलिए इसे सशक्त रखना आवश्यक है-
- छोटी कन्याओं की सेवा: उन्हें मिठाई, हरी मूंग की दाल या खिलौने दान करें।
- भिगोई हुई मूंग पक्षियों को डालें।
- मामा और बुआ से अच्छे संबंध रखें।
अन्य प्रभावी उपाय-
शनि खाना नंबर 6 के लिए कुछ अन्य लाभकारी उपाय-
- भूरा कुत्ता पालें या उसकी सेवा करें।
- काली-सफ़ेद गाय की सेवा करें।
निष्कर्ष
लाल किताब ज्योतिष कहती है कि जब शनि खाना नंबर 6 में हो, तो व्यक्ति कठिनाइयों से डरने की बजाय, उनसे जूझना सीखता है। यह स्थिति व्यक्ति के जीवन में अनुशासन, सेवा भावना, और कर्मनिष्ठा को पहली प्राथमिकता देती है। यदि जातक ईमानदारी बनाए रखे, गुरु की कृपा प्राप्त करे। और ऊपर बताए गए उपायों का पालन करे। तब शनि छठे घर में होकर भी जीवन में महान सफलता, शत्रुओं पर विजय, और ऋण-मुक्ति का वरदान देता है।


